Sunday, January 31, 2010

राहुल गांधी

लम्‍बे अरसे के बाद राहुल गांधी के रूप में देश को एक बेहतरीन युवा नेता मिला है । राहुल गांधी के अन्‍दर सत्‍ता की भूख नहीं है । संप्रग सरकार की पिछली पारी में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने राहुल गांधी के लिए मंत्री पद की पेशकश की थी लेकिन राहुल जी ने उसे स्‍वीकार नहीं किया । संप्रग की दूसरी पारी में भी उन्‍हें मंत्री पद की पेशकश की गई थी लेकिन राहुल बाबा ने इस बार भी मंत्री पद स्‍वीकार न कर देश की जनता को दिखा दिया कि राहुल गांधी के मन में मंत्री पद की चाह नहीं है, सत्‍ता की भूख नहीं है । राहुल गांधी ने मंत्री पद स्‍वीकार न कर स्‍पष्‍ट रूप से यह संदेश दिया है कि वास्‍तव में वह जनता की सेवा करना चाहते हैं, कांग्रेस के संगठन को मजबूत करना चाहते हैं । राहुल गांधी ऐसी परिस्थितयों में देश की सेवा करना चाहते हैं जब देश की जनता का राजनेताओं से भरोसा उठ चुका है राजनेताओं को देश की जनता सम्‍मान की दृष्टि से नहीं देखती । आजकल राजनीति से सेवा भाव खत्‍म हो चुका है राजनीति अब एक पेशे का रूप ले चुकी है, धन कमाने का जरिया बन चुकी है, अपनी काली करतूतों को छिपाने की आड़ बन चुकी है आजकल राजनीति केवल पद की लोलुपता के लिए की जा रही है । राजनीति में अपने ही अपनों को दगा दे रहे हैं केवल इसलिए कि उन्‍हें किसी तरह से मंत्री पद मिल जाये । राजनीति के वर्तमान परिदृश्‍य में मूल्‍यों का क्षरण पतन के स्‍तर तक हो चुका है ऐसी परिस्थितयों में देश की जनता राहुल गांधी की तरफ आशा भरी निगाहों से देख रही है । राहुल गांधी के प्रयासों से ऐसा लगता है कि वह सचमुच देश की जनता के प्रति सेवा का भाव रखते हैं और वह देश की जनता से जुड़ने के सभी संभव प्रयास कर रहे हैं जनता भी उनकी अपील पर ध्‍यान दे रही है जनता को राजनीति के अंधेरे में राहुल गांधी के रूप में एक उजाले की किरण दिखाई दे रही है । राहुल गांधी की लोकप्रियता बढ़ रही है ।